गंगा नदी - Ganga River
गंगा नदी हिमालय पर्वत के गंगोत्री ग्लेशियर के टर्मिनस गोमुख से निकलती हैं. जब इस ग्लेशियर की बर्फ पिघलती है, तो यह भागीरथी नदी का साफ पानी बनाती है। जैसे ही भागीरथी नदी हिमालय से नीचे बहती है, यह अलकनंदा नदी में मिल जाती है, जो आधिकारिक तौर पर गंगा नदी का निर्माण करती है.प्रयाग का मतलब जहां दो नदियां आपस में मिलती है. इस स्थान पर इन दोनों नदियों की गहराई बराबर हो जाती है. इस कारण विष्णुप्रयाग के बाद यह नदी अलकनंदा नाम से जानी जाती है. और जब अलकनंदा आगे बढ़ती है तो इसमें नंदाकिनी नदी मिलती है, उस स्थान को नंदप्रयाग कहते हैं.
इसके बाद नदी और आगे बढ़ती है तो इसमें पिंडर नदी मिलती है. उस उस स्थान को कर्णप्रयाग कहते हैं.
अब केदारनाथ से एक नदी निकलती है, जिसका नाम मंदाकिनी नदी है. मंदाकिनी नदी आकर यहाँ से अलकनंदा में मिल जाती है. और जहां मिलती है, उस स्थान को रुद्रप्रयाग कहते हैं. इस रूट में अलकनंदा बहुत गहरी होती है. इस कारण इसका नाम नहीं बदला.
अब उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के गंगोत्री (स्थान गोमुख) से भागीरथी नदी निकलती है.
उत्तराखंड के लोग मुख्य रूप से इसे ही गंगा मानते हैं. अब भागीरथी नदी आगे जाकर अलकनंदा में मिलती है. जिस स्थान पर मिलती है, उसे देवप्रयाग कहते हैं.
Check Price :- River Ganga: A Cartographic Mystery- (सबसे कम प्राइस में )
Check Price :- Ganga River Map
यहां पर दोनों की गहराई बराबर हो जाती है. इस कारण इस नदी का नाम बदलकर गंगा हो जाता है. देवप्रयाग के बाद यह गंगा नदी के नाम से बहती है. इस तरह उत्तराखंड की कई सारी नदियां मिलकर गंगा नदी का निर्माण करती है. गंगा नदी पर स्थित कुल पांच प्रयाग स्थित है.
विष्णुप्रयाग, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग और देवप्रयाग इन पांचों क्रिया को पंच प्रयाग भी कहा जाता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, ये पंचप्रयाग घूमना बहुत ही पवित्र माना जाता है.
Read More - स्वेज नहर
Read More - पनामा नहर
Read More - हिमालय पर्वत
गंगा नदी में उतर की और से आने वाली प्रमुख सहायक नदियों के नाम निम्न हैं – यमुना रामगंगा करनाली जिसे घाघरा भी कहा जाता हैं तपती गंडक कोसी और काक्षी हैं.
गंगा नदी में उतर की और से आने वाली प्रमुख सहायक नदियों के नाम निम्न हैं – यमुना रामगंगा करनाली जिसे घाघरा भी कहा जाता हैं तपती गंडक कोसी और काक्षी हैं.
गंगा नदी में दक्षिण के पठार से आकर मिलने वाली नदियों में – चम्बल सोन बेतवा दक्षिणी टोंस केन इत्यादि हैं. यमुना नदी सबसे प्रमुख सहायक नदी हैं, जो की हिमालय से बन्दर पूंछ चोटी के आधार पर से यमुनोत्री हिम खंड से निकलती हैं.
हिमालय के उपरी इलाके में इसके अन्दर टोंस और लघु हिमालय में आने पर इसके अन्दर आसन और गिरी नदियाँ मिलती हैं.
यमुना की सहायक नदियाँ – शारदा चम्बल केन बेतवा यमुना की सहायक नदियाँ हैं. चम्बल नदी यमुना नदी में इटावा के पास तथा बेतवा हमीर पुर के पास यमुना में मिलती हैं.
यमुना नदी गंगा में इलाहाबाद के निकट बायीं और से मिलती हैं.
रामगंगा मुख्या हिमालय के दक्षिण क्षेत्र के नैनीताल के पास से निकल कर बिजनौर से प्रवाहित होती हुई कन्नोज के पास से गंगा नदी में मिलती हैं.
जब अपने प्रजा के प्राणों की रक्षा के लिए पानी की कमी को दूर करने के लिए महाराज सागर ने अश्वमेध यज्ञ किया था. उस अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को स्वर्ग के राजा इंद्र ने चुरा कर ले जाकर की कपिल मुनि के आश्रम में बांध दिया. अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को खोजते हुए राजा सगर के 60 हजार पुत्र जब गए तो उन्होंने घोड़े को कपिल मुनि के आश्रम में बंधा देखकर उन से लड़ाई करने लगे.
उसके बाद ऋषि कपिल मुनि को बहुत क्रोध आया और उन्होंने सगर के साठ हजार पुत्रों को श्राप देकर उन्हें भस्म कर दिया. यह देखकर महाराज सगर के पुत्र अंशुमन ने उनसे बहुत याचना की कि अपना श्राप वापस ले लीजिए
लेकिन कपिल मुनि ने उन्हें इसका उपाय यह बताया कि इनकी राख पर मां Ganga का पानी छिड़क दिया जाएगा तो यह सब ठीक हो जाएंगे.
अंशुमन ने अपने भाइयों के आत्मा की उधार के लिए मां Ganga को धरती पर लाने का बहुत प्रयास किया लेकिन वह इसमें सफल नहीं हो पाए उन्हीं के कामों का बीड़ा उनके पुत्र भागीरथ ने उठाया और उन्होंने कड़ी तपस्या करके मां Ganga को धरती पर अवतरित किया.भारत में सबसे बड़ा नदी तंत्र गंगा नदी तंत्र है|
भारत में सबसे बड़ा जल ग्रहण क्षेत्र गंगा नदी का है|
गंगा नदी दो देशों से होकर प्रवाहित होती है – भारत और बांग्लादेश|
गंगा नदी का निर्माण उत्तराखण्ड में दो नदियों की संयुक्त धाराओं के मिलने से होता है| ये दो धारायें हैं – भागीरथी नदी और अलकनंदा नदी|
भागीरथी नदी उत्तराखण्ड में उत्तरकाशी जिले में गोमुख के निकट गंगोत्री ग्लेशियर से निकलती है और अलकनंदा नदी सतोपथ ग्लेशियर से निकलती है|
भागीरथी और अलकनंदा नदियां देव प्रयाग में मिलकर गंगा नदी का निर्माण करती हैं|
अलकनंदा नदी –अलकनंदा नदी का निर्माण दो नदियों के संयुक्त धाराओं के मिलने से होता है – धौली गंगा नदी और विष्णु गंगा नदी|
धौली गंगा नदी और विष्णु गंगा नदी सतोपथ हिमानी से निकलती हैं| ये दोनों नदियां विष्णु प्रयाग में आपस में मिल जाती हैं|
धौली गंगा नदी और विष्णु गंगा नदी विष्णु प्रयाग में मिलकर अलकनंदा नदी का निर्माण करती है|
विष्णु प्रयाग से आगे कर्ण प्रयाग में पिण्डार नदीअलकनंदा नदी से आकर मिल जाती है|
रूद्र प्रयाग में अलकनंदा नदी से मन्दाकिनी नदी आकर मिलती है|
रूद्र प्रयाग से आगे देव प्रयाग में अलकनंदा नदी से भागीरथी नदी आकर मिलती है|
भागीरथी नदी और अलकनंदा नदी की संयुक्त धारा गंगा नदी कहलाती है|
गंगा नदी भारत में 5 राज्यों से होकर गुजरती है – उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड और पश्चिम बंगाल|
गंगा नदी की सबसे ज्यादा लम्बाई उत्तर प्रदेश में है तथा सबसे कम लम्बाई झारखंड राज्य में है|
गंगा नदी सर्वप्रथम हरिद्वार में पर्वतीय भाग से निकलकर मैदान में प्रवेश करती है|
पश्चिम बंगाल में गंगा नदी दो वितरिकाओं में बंट जाती है – भागीरथी एवं हुगली| मुख्य नदी भागीरथी अर्थात् गंगा बांग्लादेश में प्रवेश कर जाती है और हुगली नदी पश्चिम बंगाल में दक्षिण की ओर बहते हुए बंगाल की खाड़ी में अपना जल गिराती है|
पश्चिम बंगाल में गंगा नदी को भागीरथी नदी भी कहते हैं|
कोलकाता हुगली नदी के ही तट पर स्थित है|
छोटा नागपुर पठार के बीचों-बीच भ्रंश घाटी में बहने वाली दामोदर नदी पूरब दिशा की ओर प्रवाहित होते हुए हुगली नदी में मिल जाती है|
गंगा नदीकी मुख्य धारा भागीरथी नदी अथवा गंगा नदी बांग्लादेश में पहुँचकर पद्मा नदी के नाम से जानी जाती है|
ब्रह्मपुत्र नदी से मिलने के बाद गंगा नदी और ब्रह्मपुत्र नदी की संयुक्त धारा ही पद्मा नदी कहलाती है| आगे चलकर पद्मा नदी से मेघना नदी अथवा बराक नदी मिलती है, तो इन दोनों नदियों की मुख्य धारा मेघना नदी ही कहलाती है| अर्थात् मेघना नदी ही बंगाल की खाड़ी में अपना जल गिराती है|
बराक नदी अथवा मेघना नदी ‘मणिपुर‘ से निकलती है|
बांग्लादेश में ब्रह्मपुत्र नदी को जमुना नदी कहते हैं, अर्थात् पद्मा नदी और जमुना नदी की मुख्य धारा पद्मा नदी कहलाती है|
गंगा नदी और ब्रह्मपुत्र नदी का डेल्टा विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा है| गंगा नदी और ब्रह्मपुत्र नदी के डेल्टा को सुन्दरवन का डेल्टा भी कहते हैं|
सुन्दरवन के डेल्टा पर सुन्दरी नामक वृक्ष की बहुलता होने के कारण इसे सुन्दरवन का डेल्टा कहते हैं|
सुन्दरवन डेल्टा का विस्तार हुगली नदी से लेकर मेघना नदी तक है|
सुन्दरवन का डेल्टा मैंग्रोव वनों के लिए जाना जाता है| यहाँ पर मुख्य रूप से मैंग्रोव, कैसुरीना और सुन्दरी नामक वृक्ष पाये जाते हैं|
मैंग्रोव वनों कि वनस्पतियों की लकड़ियाँ बहुत कठोर होती हैं और उनकी छाल नमकीन होती है, क्योंकि इन वनस्पतियों की जड़े डेल्टा क्षेत्र में समुद्र के जल में डूबी हुई होती हैं|
भारत में बंगाल टाइगर मैंग्रोव वनों के क्षेत्र के अंतर्गत ही पाए जाते हैं, अर्थात् बंगाल टाइगर सुन्दरवन डेल्टा में पाए जाते हैं|
भारत में पश्चिम बंगाल में मैंग्रोव वनों का क्षेत्रफल सर्वाधिक है| उसके बाद गुजरात दूसरे तथा तीसरे स्थान पर आंध्र प्रदेश में गोदावरी नदीऔर कृष्णा नदी के डेल्टा में मैंग्रोव वनों का क्षेत्रफल सर्वाधिक है|
यह तो सभी जानते हैं कि गंगाजल में नहाने से कोई भी व्यक्ति पवित्र हो जाता हैं शरीर का जितना भी पवित्रता होता हैं वह नष्ट हो जाता हैं.
गंगा जल में स्नान करने से कई गुना पुण्य फल प्राप्त होता हैं.गंगा का सबसे महत्व इससे भी बढ़ जाता हैं कि कई ऐसे तीर्थस्थल हैं जो कि गंगा नदी के किनारे हैं बसे हैं जैसे कि बक्सर हरिद्वार वाराणसी आदि.
हिंदू धर्म में माना गया हैं कि मनुष्य के मृत्यु के बाद उसको जला कर के राख को गंगा नदी में प्रवाहित करने से उस व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता हैं इसीलिए हिन्दु धर्म में किसा भी व्यक्ति का अंतिम संस्कार गंगा नदी के किनारे ही किया जाता हैं.
क्योंकि उनका मानना हैं कि जब गंगा नदी हिमालय से धरती पर आती हैं तो कई तरह के खनिज और जड़ी-बूटी उसने मिलकर के गंगाजल में औषधीय गुण उत्पन्न हो जाता हैं.
कई वैज्ञानिकों का मानना हैं कि गंगाजल में वातावरण से ऑक्सीजन सोखने का भी एक अनोखा क्षमता हैं.गंगाजल कितने ही दिनों तक हम लोग अपने घर में रखते हैं
लेकिन कभी भी उस में किसी भी तरह का कीड़ा नहीं लग सकता हैं वह जल खराब नहीं हो सकता हैं ऐसा इसलिए कहा जाता हैं क्योंकि यह माना गया हैं कि गंगा जल में बहुत ही मात्रा में गंधक होता हैं
इसीलिए यह जल बहुत दिनों तक रहता हैं लेकिन कई वैज्ञानिकों ने परीक्षण करके यह भी बताया हैं कि गंगाजल में कीटाणुओं को नष्ट करने का भी एक अद्भुत क्षमता हैं गंगाजल से नहाने से या पीने से मलेरिया हैंजा प्लेग जैसे बीमारी से मुक्ति मिल सकता हैं.
हिमालय के उपरी इलाके में इसके अन्दर टोंस और लघु हिमालय में आने पर इसके अन्दर आसन और गिरी नदियाँ मिलती हैं.
यमुना की सहायक नदियाँ – शारदा चम्बल केन बेतवा यमुना की सहायक नदियाँ हैं. चम्बल नदी यमुना नदी में इटावा के पास तथा बेतवा हमीर पुर के पास यमुना में मिलती हैं.
यमुना नदी गंगा में इलाहाबाद के निकट बायीं और से मिलती हैं.
रामगंगा मुख्या हिमालय के दक्षिण क्षेत्र के नैनीताल के पास से निकल कर बिजनौर से प्रवाहित होती हुई कन्नोज के पास से गंगा नदी में मिलती हैं.
गंगा का खोज किसने किया ?
वैसे तो गंगा नदी को धरती पर लाने के लिए कई राजाओं ने प्रयास किया लेकिन इस प्रयास में सफल अयोध्या के इक्ष्वाकु वंश के राजा भागीरथ हुए.जब अपने प्रजा के प्राणों की रक्षा के लिए पानी की कमी को दूर करने के लिए महाराज सागर ने अश्वमेध यज्ञ किया था. उस अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को स्वर्ग के राजा इंद्र ने चुरा कर ले जाकर की कपिल मुनि के आश्रम में बांध दिया. अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को खोजते हुए राजा सगर के 60 हजार पुत्र जब गए तो उन्होंने घोड़े को कपिल मुनि के आश्रम में बंधा देखकर उन से लड़ाई करने लगे.
उसके बाद ऋषि कपिल मुनि को बहुत क्रोध आया और उन्होंने सगर के साठ हजार पुत्रों को श्राप देकर उन्हें भस्म कर दिया. यह देखकर महाराज सगर के पुत्र अंशुमन ने उनसे बहुत याचना की कि अपना श्राप वापस ले लीजिए
लेकिन कपिल मुनि ने उन्हें इसका उपाय यह बताया कि इनकी राख पर मां Ganga का पानी छिड़क दिया जाएगा तो यह सब ठीक हो जाएंगे.
अंशुमन ने अपने भाइयों के आत्मा की उधार के लिए मां Ganga को धरती पर लाने का बहुत प्रयास किया लेकिन वह इसमें सफल नहीं हो पाए उन्हीं के कामों का बीड़ा उनके पुत्र भागीरथ ने उठाया और उन्होंने कड़ी तपस्या करके मां Ganga को धरती पर अवतरित किया.भारत में सबसे बड़ा नदी तंत्र गंगा नदी तंत्र है|
भारत में सबसे बड़ा जल ग्रहण क्षेत्र गंगा नदी का है|
गंगा नदी दो देशों से होकर प्रवाहित होती है – भारत और बांग्लादेश|
गंगा नदी का निर्माण उत्तराखण्ड में दो नदियों की संयुक्त धाराओं के मिलने से होता है| ये दो धारायें हैं – भागीरथी नदी और अलकनंदा नदी|
भागीरथी नदी उत्तराखण्ड में उत्तरकाशी जिले में गोमुख के निकट गंगोत्री ग्लेशियर से निकलती है और अलकनंदा नदी सतोपथ ग्लेशियर से निकलती है|
भागीरथी और अलकनंदा नदियां देव प्रयाग में मिलकर गंगा नदी का निर्माण करती हैं|
अलकनंदा नदी –अलकनंदा नदी का निर्माण दो नदियों के संयुक्त धाराओं के मिलने से होता है – धौली गंगा नदी और विष्णु गंगा नदी|
धौली गंगा नदी और विष्णु गंगा नदी सतोपथ हिमानी से निकलती हैं| ये दोनों नदियां विष्णु प्रयाग में आपस में मिल जाती हैं|
धौली गंगा नदी और विष्णु गंगा नदी विष्णु प्रयाग में मिलकर अलकनंदा नदी का निर्माण करती है|
विष्णु प्रयाग से आगे कर्ण प्रयाग में पिण्डार नदीअलकनंदा नदी से आकर मिल जाती है|
रूद्र प्रयाग में अलकनंदा नदी से मन्दाकिनी नदी आकर मिलती है|
रूद्र प्रयाग से आगे देव प्रयाग में अलकनंदा नदी से भागीरथी नदी आकर मिलती है|
भागीरथी नदी और अलकनंदा नदी की संयुक्त धारा गंगा नदी कहलाती है|
गंगा नदी भारत में 5 राज्यों से होकर गुजरती है – उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड और पश्चिम बंगाल|
गंगा नदी की सबसे ज्यादा लम्बाई उत्तर प्रदेश में है तथा सबसे कम लम्बाई झारखंड राज्य में है|
गंगा नदी सर्वप्रथम हरिद्वार में पर्वतीय भाग से निकलकर मैदान में प्रवेश करती है|
पश्चिम बंगाल में गंगा नदी दो वितरिकाओं में बंट जाती है – भागीरथी एवं हुगली| मुख्य नदी भागीरथी अर्थात् गंगा बांग्लादेश में प्रवेश कर जाती है और हुगली नदी पश्चिम बंगाल में दक्षिण की ओर बहते हुए बंगाल की खाड़ी में अपना जल गिराती है|
पश्चिम बंगाल में गंगा नदी को भागीरथी नदी भी कहते हैं|
कोलकाता हुगली नदी के ही तट पर स्थित है|
छोटा नागपुर पठार के बीचों-बीच भ्रंश घाटी में बहने वाली दामोदर नदी पूरब दिशा की ओर प्रवाहित होते हुए हुगली नदी में मिल जाती है|
गंगा नदीकी मुख्य धारा भागीरथी नदी अथवा गंगा नदी बांग्लादेश में पहुँचकर पद्मा नदी के नाम से जानी जाती है|
ब्रह्मपुत्र नदी से मिलने के बाद गंगा नदी और ब्रह्मपुत्र नदी की संयुक्त धारा ही पद्मा नदी कहलाती है| आगे चलकर पद्मा नदी से मेघना नदी अथवा बराक नदी मिलती है, तो इन दोनों नदियों की मुख्य धारा मेघना नदी ही कहलाती है| अर्थात् मेघना नदी ही बंगाल की खाड़ी में अपना जल गिराती है|
बराक नदी अथवा मेघना नदी ‘मणिपुर‘ से निकलती है|
बांग्लादेश में ब्रह्मपुत्र नदी को जमुना नदी कहते हैं, अर्थात् पद्मा नदी और जमुना नदी की मुख्य धारा पद्मा नदी कहलाती है|
गंगा नदी और ब्रह्मपुत्र नदी का डेल्टा विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा है| गंगा नदी और ब्रह्मपुत्र नदी के डेल्टा को सुन्दरवन का डेल्टा भी कहते हैं|
सुन्दरवन के डेल्टा पर सुन्दरी नामक वृक्ष की बहुलता होने के कारण इसे सुन्दरवन का डेल्टा कहते हैं|
सुन्दरवन डेल्टा का विस्तार हुगली नदी से लेकर मेघना नदी तक है|
सुन्दरवन का डेल्टा मैंग्रोव वनों के लिए जाना जाता है| यहाँ पर मुख्य रूप से मैंग्रोव, कैसुरीना और सुन्दरी नामक वृक्ष पाये जाते हैं|
मैंग्रोव वनों कि वनस्पतियों की लकड़ियाँ बहुत कठोर होती हैं और उनकी छाल नमकीन होती है, क्योंकि इन वनस्पतियों की जड़े डेल्टा क्षेत्र में समुद्र के जल में डूबी हुई होती हैं|
भारत में बंगाल टाइगर मैंग्रोव वनों के क्षेत्र के अंतर्गत ही पाए जाते हैं, अर्थात् बंगाल टाइगर सुन्दरवन डेल्टा में पाए जाते हैं|
भारत में पश्चिम बंगाल में मैंग्रोव वनों का क्षेत्रफल सर्वाधिक है| उसके बाद गुजरात दूसरे तथा तीसरे स्थान पर आंध्र प्रदेश में गोदावरी नदीऔर कृष्णा नदी के डेल्टा में मैंग्रोव वनों का क्षेत्रफल सर्वाधिक है|
गंगा नदी का महत्व
मां गंगा को स्वर्ग में मंदाकिनी के रूप में जाना जाता हैं पृथ्वी पर गंगा के रूप में जानी जाती हैं और पाताल में भगवती नाम से प्रवाहित होती हैं ऐसा पुराणों में बताया गया हैं.1. धार्मिक महत्व
मां गंगा को ग्रंथों में देवनदी माना गया हैं गंगा नदी को सभी नदियों में पवित्र नदी माना जाता हैं किसी भी धार्मिक कार्य या धार्मिक स्थल पर गंगाजल का उपयोग जरूर किया जाता हैं किसी भी पूजा में पंचामृत बनाने के लिए गंगा जल का उपयोग सबसे जरूरी माना जाता हैं.यह तो सभी जानते हैं कि गंगाजल में नहाने से कोई भी व्यक्ति पवित्र हो जाता हैं शरीर का जितना भी पवित्रता होता हैं वह नष्ट हो जाता हैं.
गंगा जल में स्नान करने से कई गुना पुण्य फल प्राप्त होता हैं.गंगा का सबसे महत्व इससे भी बढ़ जाता हैं कि कई ऐसे तीर्थस्थल हैं जो कि गंगा नदी के किनारे हैं बसे हैं जैसे कि बक्सर हरिद्वार वाराणसी आदि.
हिंदू धर्म में माना गया हैं कि मनुष्य के मृत्यु के बाद उसको जला कर के राख को गंगा नदी में प्रवाहित करने से उस व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता हैं इसीलिए हिन्दु धर्म में किसा भी व्यक्ति का अंतिम संस्कार गंगा नदी के किनारे ही किया जाता हैं.
2. गंगा नदी का वैज्ञानिक महत्व
ऐसा कहा जाता हैं कि गंगाजल में बैक्टीरिया को मारने की क्षमता होती हैं गंगा नदी में कई औषधीय गुण भी पाया जाता हैं यह कई वैज्ञानिकों ने भी माना हैंक्योंकि उनका मानना हैं कि जब गंगा नदी हिमालय से धरती पर आती हैं तो कई तरह के खनिज और जड़ी-बूटी उसने मिलकर के गंगाजल में औषधीय गुण उत्पन्न हो जाता हैं.
कई वैज्ञानिकों का मानना हैं कि गंगाजल में वातावरण से ऑक्सीजन सोखने का भी एक अनोखा क्षमता हैं.गंगाजल कितने ही दिनों तक हम लोग अपने घर में रखते हैं
लेकिन कभी भी उस में किसी भी तरह का कीड़ा नहीं लग सकता हैं वह जल खराब नहीं हो सकता हैं ऐसा इसलिए कहा जाता हैं क्योंकि यह माना गया हैं कि गंगा जल में बहुत ही मात्रा में गंधक होता हैं
इसीलिए यह जल बहुत दिनों तक रहता हैं लेकिन कई वैज्ञानिकों ने परीक्षण करके यह भी बताया हैं कि गंगाजल में कीटाणुओं को नष्ट करने का भी एक अद्भुत क्षमता हैं गंगाजल से नहाने से या पीने से मलेरिया हैंजा प्लेग जैसे बीमारी से मुक्ति मिल सकता हैं.