गोदावरी नदी - Godavari River
हाल ही में अधिकारियों ने तेलंगाना के भद्राचलम् में गोदावरी नदी में बाढ़ का स्तर 50 फीट पार करने और नदी में 13 लाख क्यूसेक के निशान को पार करने के साथ दूसरी चेतावनी जारी की।हाल ही में अधिकारियों ने तेलंगाना के भद्राचलम् में गोदावरी नदी में बाढ़ का स्तर 50 फीट पार करने और नदी में 13 लाख क्यूसेक के निशान को पार करने के साथ दूसरी चेतावनी जारी की।
रिवर ओवरफ्लो:ऊपरी गोदावरी बेसिन के जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण।
मेदिगड्डा बैराज़ से जल का निर्वहन, सभी जलाशयों में आने वाले प्रवाह के साथ घट रहा है।
कर्नाटक में कृष्णा बेसिन, अलमट्टी, नारायणपुर और तुंगभद्रा में परियोजनाओं से जल का निर्वहन/डिस्चार्ज से तेलंगाना तथा आंध्र प्रदेश में परियोजनाओं में अधिकांश जल की प्राप्ति होती है।इसके अलावा श्रीशैलम् जलाशय (हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट) में 3.60 लाख क्यूसेक से अधिक जल की प्राप्ति रही थी और डिस्चार्ज/निर्वहन 3.17 लाख क्यूसेक से अधिक था।
गोदावरी नदी से संबंधित प्रमुख तथ्य:परिचय:गोदावरी सबसे बड़ी प्रायद्वीपीय नदी प्रणाली है। इसे दक्षिण गंगा भी कहते हैं।
इसका बेसिन उत्तर में सतमाला पहाड़ियों, दक्षिण में अजंता श्रेणी और महादेव पहाड़ियों, पूर्व में पूर्वी घाट और पश्चिम में पश्चिमी घाट से घिरा हुआ है।
उद्गम:गोदावरी नदी महाराष्ट्र में नासिक के पास त्र्यंबकेश्वर से निकलती है और बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले लगभग 1465 किमी. की दूरी तय करती है।
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इन राज्यों से होकर गुजरती है
प्रायद्वीपीय भारत में सबसे लंबी नदी, तीन राज्यों, महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से होकर गुजरती है, जबकि इसके बेसिन में मध्य प्रदेश, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्से और ओडिशा शामिल हैं। यह 3 कृषि जलवायु क्षेत्रों, 6 कृषि पारिस्थितिक क्षेत्रों से होकर गुजरती है और जैव विविधता और समुदायों की एक आश्चर्यजनक सारणी का समर्थन करती है। गोदावरी बेसिन को 60 मिलियन से अधिक लोग अपना घर मानते हैं। बेसिन में महाराष्ट्र के नासिक, नागपुर, वर्धा, नांदेड़ और चंद्रपुर और तेलंगाना में भद्राचलम, निजामाबाद, मंचेरियल और रामागुंडम, आंध्र प्रदेश में राजमुंदरी और नरसापुर और मध्य प्रदेश में सिवनी और बालाघाट जैसे महत्वपूर्ण शहर शामिल हैं।अपवाह तंत्र:गोदावरी बेसिन महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा राज्यों के अलावा मध्य प्रदेश, कर्नाटक तथा पुद्दुचेरी के मध्य क्षेत्र के छोटे हिस्सों में फैला हुआ है।
सहायक नदियाँ:प्रवरा, पूर्णा, मंजरा, पेनगंगा, वर्धा, वैनगंगा, प्राणहिता (वेनगंगा, पेनगंगा, वर्धा का संयुक्त प्रवाह), इंद्रावती, मनेर और सबरी।प्रवर, मंजरा और मनेर दाहिने तट की सहायक नदियाँ हैं।पूर्णा, प्राणहिता, इंद्रावती और सबरी महत्वपूर्ण बाएँ किनारे की सहायक नदियाँ हैंं।
सांस्कृतिक महत्त्व:नासिक में गोदावरी नदी के तट पर भी कुंभ मेला लगता है।कुंभ उज्जैन में शिप्रा नदी, हरिद्वार में गंगा और प्रयाग में गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदी का संगम पर लगता है।शहरी केंद्र:नागपुर, औरंगाबाद, नासिक, राजमुन्द्री।
उद्योग:नासिक और औरंगाबाद में बड़ी संख्या में खासकर, ऑटोमोबाइल उद्योग हैं।
बेसिन में उद्योग ज़्यादातर राईस मिल, कपास कताई और बुनाई, चीनी और तेल निष्कर्षण जैसे कृषि उत्पादों पर आधारित होते हैं।
बेसिन में सीमेंट और कुछ छोटे इंजीनियरिंग उद्योग भी मौजूद हैं।
गोदावरी पर महत्त्वपूर्ण परियोजनाएँ
:पोलावरम् सिंचाई परियोजना।
कालेश्वरम।
सदरमत अनिकुट
इंचमपल्ली परियोजना
श्रीराम सागर परियोजना (SRSP):
कालेश्वरम।
सदरमत अनिकुट
इंचमपल्ली परियोजना
श्रीराम सागर परियोजना (SRSP):